Wednesday, September 19, 2012

कीमत

मैंने कहा जी ! आप कब के शराब पीने लगे हो । आपको पता है कि टाईम क्या हुआ है.... रात के बारां बजने को हैं । अपना शाम आज पहली दफा फैक्टरी गया है और अभी तक घर नहीं लौटा है । मेरा मन बहुत घबरा रहा है' भागवती अपने पति सेठ राम लाल से बोली । 'वह कौन सा दूघ पीता बच्चा है । आ जाऐगों फालतू में क्यों टेंशन ले रही हो । थोड़ा इंतजार करो। नहीं तो कोई फोन वगैरह करके पता करता हूँ ।' कुछ ही समय पश्चात दरवाजे की घंटी बजने से भागवती के सांस में सांस आता है । “क्यों बेटा इतना लेटें आज कल का समय बहुत खराब है” मेरी तो जान मुट्‌ठी में आई पडी थी ।' भगवती एकदम बोली । ‘अरे! कोई फोन ही कर देता तेरी मां बडी चिंता कर रही थी, चल बता कि तुझे अपनी फैक्टरी कैसी लगी ?' रामलाल ने अपने बेटे से पूछा । 'फैक्टरी तो ठीक है पापा जी ! पर मेरी समझ में ये बात नहीं आ रही कि आप ने वहां पर सिर्फ बाहर के ही मजदूर क्यों रखे हुए हैं, जब कि अपने पंजाबी लोग तो यहाँ पर खाली घूमते फिर रहे हैं ।' 'बेटा ! तुम्हारी समझ में नाहीं आवे ये बातें’ ‘कैसे पापा जी ? 'तुझे तो पता ही है कि हमारी फैक्टरी में कैसा काम है, मामूली सी लापरवाही से ही मजदूर की मौत हो जाती है, यदि इन में से कोई मजदूर मर खप जाए तो यह दस बीस हजार रुपए लेकर समझौता कर लेते हैं और अपने वाले तो लाखों की बात करते है।' सेठ राम लाल ने खसियानी हँसी हँसते हुए शराब का एक और पैग अपने अंदर डाल लिया ।

No comments:

Post a Comment